ओपी के पहले आगमन पर ऐसा ’रूखा’ स्वागत, ना पूरे पार्षद पहुंचे, न नेता...प्रदेश बीजेपी नेता के साथ हो गई ‘पॉलिटिक्स’...इससे ज्यादा कारवां तो....
रायगढ़। जुम्मा–जुम्मा साढ़े 3 साल हुआ है जब चंद साल के आईएएस अफसर रहे ओपी चौधरी ने बीजेपी प्रवेश किया और इतने कम समय में प्रदेश बीजेपी महामंत्री बनना उनकी उपलब्धि से कहीं ज्यादा बीजेपी की सियासी मजबूरी कही जा सकती है। प्रदेश बीजेपी संगठन में हुए बदलाव के बाद पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को मिली प्रदेश बीजेपी महामंत्री की जिम्मेदारी के बाद हुए प्रथम रायगढ़ आगमन पर रूखे स्वागत को लेकर शहर में सियासी चटकारे जोरों पर हैं।
एक तरफ बीजेपी सीधे तीसरे लाइन के कुछ नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए नई नियुक्तियां करने से परहेज नहीं कर रही है ऐसे में इस सियासी प्रयोग के तात्कालिक ’बाउंस बैक’ भी देखने को मिलने लगे हैं। यह इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि आज प्रदेश बीजेपी महामंत्री की नियुक्ति के बाद हुए पहले आगमन पर ही रायगढ़ बीजेपी के गुणा–भाग फिर से एकबार शहर–जाहिर हो गए।
सारंगढ़ जिले के बाद चंद्रपुर के रास्ते रायगढ़ नगर पहुंचे प्रदेश बीजेपी महामंत्री के इस्तकबाल करने कुछ चुनिंदा नेता अलग–अलग क्षेत्र में दिखे जरूर लेकिन यह सिर्फ पार्टी प्रोटोकॉल से ज्यादा कहीं कुछ नजर नहीं आया। अब आना शहर में था तो कम से कम सभी बीजेपी पार्षद भी स्वागत में पहुंच जाते तो गरिमा रह जाती लेकिन कुछ एक दिखे अपने अपनों के साथ। खुली जीप में सवार ओपी को धमाकेदार स्वागत का इल्म रहा होगा लेकिन दर्जनों गुटों में अब बंट चुकी रायगढ़ बीजेपी के तमाम छोटे–बड़े जमीनी के साथ फेसबुकिया नेताओं की बाढ़ उनके स्वागत से नदारद रही। ओपी चौधरी एक सफल आईएएस अधिकारी जरूर रहे हैं और अफसर रहते हुए उनके कई मिलियन फॉलोअर्स भी रहे होंगे लेकिन अफसर टर्न्ड नेता के सियासी फिसलन में पैर जमाना इतना आसां भी नहीं होगा और इसका भली–भांति अहसास आज के रूखे स्वागत ने करा भी दिया होगा। शहर में सियासी चर्चा तो इतनी भी हो रही कि इससे ज्यादा कारवां तो एक पार्षद की रैली में हो जाता, ये तो फिर भी प्रदेश के नियुक्त नेता थे। किसी ने सच ही कहा है सियासत अपने चेहरे जरा बारीकी से खोजती है।