रायगढ़: भाजपा के नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति कहीं साबित न हो जाए ‘कांटों’ भरा ताज, निकाय/पंचायत में पार्टी का प्रदर्शन और अंदरूनी असंतोष सम्हालना रहेगा ‘चुनौती’, पुराने अध्यक्ष के कार्यकाल में लगभग चुनाव हारी थी पार्टी
@ खबरची ब्यूरो
रायगढ़। जिला भाजपा अध्यक्ष की नई नियुक्ति आखिरकार नए साल के साथ हो ही गई। पिछले दो महीने से जिलाध्यक्ष के लिए लगातार जारी रहे कयास और लॉबिंग का सिलसिला अब जाकर थम गया लेकिन नए जिलाध्यक्ष के लिए नई नियुक्ति किसी चुनौती से कहीं कम साबित नहीं होने वाली है। ऐसे में जबकि आने वाले समय में निगम, नगर पालिका और पंचायत के चुनाव होने हैं तो सत्तारूढ़ पार्टी होने के नाते पार्टी जिलाध्यक्ष की नैतिक जिम्मेदारी अब पहले से कहीं ज्यादा आंकलन में होने लगेगी, क्योंकि सत्ता होने के कारण पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की सियासी इच्छा को पूरा करने का भार भी तो आखिरकार झेलना है।
सत्तारूढ़ पार्टी होने के नाते पार्टी कार्यकर्ताओं की राजनीतिक इच्छा हिलोरे मारना स्वाभाविक भी है, ऐसे में जबकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन बीजेपी के पास खोने के लिए बहुत कुछ है। अब बात रायगढ़ नगर निगम की ही कर लीजिए, जिस तरह से एक–एक वार्ड में बीजेपी के 19–19 दावेदार पार्षद बनने तलवार लेकर रण में उतरने उतारू हैं तो इससे समझा जा सकता है कि बीजेपी पर राजनीतिक आभामंडल कितना भारी पड़ने जा रहा है। निगम चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में नए जिला अध्यक्ष का किस्सा वैसे तो नुकसान भरा ही रहा है। पिछले 2019 की उमेश अग्रवाल की नियुक्ति को ही ले लीजिए, निगम से लेकर नगर पालिका और पंचायत सभी चुनाव पार्टी हारी थी, ऊपर से रायगढ़ नगर निगम में 4–5 बीजेपी पार्षदों द्वारा सभापति चुनाव के लिए क्रॉस वोटिंग का कलंक लगा था, सो अलग। यही नहीं रायगढ़ विधानसभा को छोड़कर जिले की बाकी तीनों सीट भी बीजेपी बुरी तरह हारी। ये बात दीगर है कि तब सत्ता प्रदेश में कांग्रेस की थी बावजूद इसके वर्तमान में नए बीजेपी जिलाध्यक्ष पर निकाय और पंचायत चुनाव में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करना और पार्टी के भीतर इस दौरान पनपने वाले असंतोष से भी दो–चार होना सबसे बड़ी चुनौती होगी।
जो भी हो बीजेपी को अपना नया जिलाध्यक्ष तो मिल गया लेकिन जिम्मेदारी अभी खत्म नहीं बल्कि शुरू हुई है क्योंकि अब पार्टी कार्यकर्ता और नेता अपने भविष्य का चंद्रमा खोजेगा कि उसको क्या मिलने जा रहा है, और यहीं से नए जिलाध्यक्ष की असल अग्नि परीक्षा होने जा रही है।
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