मैं रायगढ़ नगर निगम का ’दर्द’ बोल रहा हूं: पब्लिक अब पूछ रही, महापौर–सभापति के आपसी विवाद से ठप्प पड़ा रायगढ़ शहर का विकास, 5 साल बस होती रही राजनीति
रायगढ़। 2019 के नगर निगम चुनाव में जब बड़े बहुमत के साथ रायगढ़ नगर निगम में कांग्रेस के पार्षद जीतकर आए थे, तब केवल पार्षद ही नहीं जीते थे बल्कि जो निर्दलीय पार्षद जीते थे, उसमें से दो निर्दलीय पार्षदों ने सत्ता प्रभाव में कांग्रेस का दामन थाम लिया था। 2019 के निगम चुनाव के परिणाम की स्थिति में कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 26 पार्षद थे लेकिन बहुमत मिलने के बाद निगम की राजनीति के गुटीय संघर्ष ने शहर का कबाड़ा करके रख दिया।
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महापौर और सभापति दोनों ही पदों पर कांग्रेस की तय जीत में बीजेपी का भी योगदान रहा था क्योंकि सभापति के चुनाव में 4–5 बीजेपी पार्षदों ने कांग्रेस सभापति के लिए वोट कर रायगढ़ की राजनीति में कलंक लगा दिया था।
5 साल तक रायगढ़ नगर निगम में सत्तारूढ़ रही कांग्रेस पार्टी का राज रहा लेकिन महापौर और सभापति के बीच पूरे कार्यकाल में जारी रही गुटीय राजनीति से हुए शहर के नुकसान को लेकर अब सोशल मीडिया में सवाल उठाने का दौर शुरू हो गया है। 6 जनवरी से रायगढ़ निगम नित कांग्रेस शहर सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से सोशल मीडिया में कांग्रेस के इस कार्यकाल को लेकर सवालों की बाढ़ आ गई है।
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ये बात भी सत्य रूप से सामने आई थी कि चाहे वो एमआईसी में अपने पसंदीदा चेहरों को शामिल करने को लेकर गुटीय संघर्ष रहा हो, चाहे शहर के विकास कार्यों को लेकर आपसे खींचतान रही हो, सभी मामलों में समय–समय पर महापौर और सभापति के बीच का शीतयुद्ध सतही संघर्ष हमेशा से बनता रहा था।
इन परिस्थितियों के बीच जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, रायगढ़ निगम में कांग्रेस के सबसे ज्यादा पार्षद थे, शहर सरकार भी कांग्रेस थी इसके बावजूद शहर की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। 2019 में जैसा शहर था वैसे ही शहर आज 2025 में भी वैसा ही है। जब 5 साल में शहर, स्पष्ट बहुमत होने के बाद नहीं बदल सका तो जिम्मेदार रहे महापौर और सभापति से पब्लिक सवाल तो पूछेगी ही। अपने–अपने पार्षदों का महिमामंडन करने में ही पूरे 5 साल की आहूति दे दी गई। जिस विश्वास और जिस उम्मीद के साथ शहर के लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में बहुमत दिया था, बावजूद इसके आपसी गुटीय संघर्ष की सियासी लड़ाई में शहर के विकास को बलि चढ़ा दिया गया। 5 साल तक एक अदद विकास को तरसता रह गया रायगढ़ शहर 5 साल और पीछे धकेला जा चुका है। रायगढ़ निगम की राजनीति हमेशा से कीचड़ की तरह साबित होती रही है लेकिन इसके पीछे शहर का जो विकास बाट जोहता रह गया उसके लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तो बनेगी ही और पब्लिक अब पांच साल का हिसाब पूछेगी भी।