रायगढ़ महापौर बनने से पहले का दर्द, एक अनार सौ बीमार, वार्ड नंबर 19 के सीटिंग पार्षद नहीं मांग पा रहे टिकट, निगम चुनाव से पहले चकाचक रायगढ़ की सड़कें
• महापौर टिकट के बीजेपी में ‘एक अनार सौ बीमार’
नगर निगम चुनाव तारीख की अभी घोषणा हुई भी नहीं है कि उससे पहले ही महापौर बनने के लिए शहर के बीजेपी नेताओं में होड़ मच गई है। एक अनार सौ बीमार की तर्ज पर हर किसी को सीधे महापौर बनना है। इस लिस्ट में बीजेपी से महापौर की टिकट मांग रहे ऐसे चेहरे भी शामिल हैं जो या तो वार्ड पार्षद का चुनाव तक नहीं जीत सके हैं या फिर पार्षद चुनाव लड़ने की हिम्मत तक नहीं दिखा सके हैं। लेकिन बनना सीधे महापौर है। सत्तारूढ़ पार्टी होने के वास्ते इस कदर बीजेपी में महापौर टिकट के लिए आपाधापी मची हुई है, यही अगर बीजेपी विपक्ष में होती तो कोई टिकट के लेवाल तक नहीं होता। शहर में ऐसे कई नाम बेवजह सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं जो बहती नाव के सहारे सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं। भले ही शहर में इन्हें कोई जानता न हो, इनका कोई जनाधार भी न हो लेकिन महापौर की गाड़ी में चढ़ने का सपना संजोय हर जोर आजमाइश करने में ये जुटे हुए हैं।
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• वार्ड नंबर 19 के सीटिंग पार्षद का ऐसा ‘दर्द’
रायगढ़ के निगम चुनाव होने से पहले ही सबसे बड़ा घमासान भावी पार्षदों में मचा हुआ है। खास तौर पर वार्ड नंबर 19 में तो बीजेपी पार्षद बनने के लिए दिन प्रति दिन दावेदार अमरबेल की तरह बढ़ते ही जा रहे हैं। कोई 60 साल पार चुका है उसे भी फिर से पार्षद बनना है तो वहीं कोई कई बार चुनाव हार जाने के बाद फिर से अपनी किस्मत आजमाने इस वार्ड से उतरने को बेकरार है। इस वार्ड से अब तक 20 से ज्यादा लोग बीजेपी टिकट के लिए ताल ठोंक चुके हैं। कुछ अभागे तो ऐसे भी हैं वो कभी रायगढ़ विधानसभा लड़ने के लिए अखबारों में रहते थे अब इनके पार्षद टिकट लेने के लाले पड़े हुए हैं। इन सभी सियासी घटनाक्रमों के बीच यहां से बीजेपी के सीटिंग पार्षद महेश कंकरवाल अब तक टिकट की दावेदारी नहीं कर सके हैं। 5 साल पार्षद रहने के नाते उनका टिकट पर दावा स्वाभाविक भी माना जाएगा लेकिन जब पहले ही टिकट के लिए तलवारें म्यान से बाहर निकल चुकी हैं तो ऐसे में महेश आखिर कैसे हिम्मत जुटा पाएंगे, वापस टिकट मांगने?
• निगम चुनाव से पहले शहर की ‘चकाचक’ सड़क
नगर निगम चुनाव से पहले पिछले 3 महीने से शहर की लगभग सड़कों की किस्मत खुल गई है। शहर की सभी सड़कों का डामरीकरण युद्ध स्तर पर चल रहा है। भला ऐसा होना भी चाहिए, आखिरकार निगम का चुनाव जो है। उस पर भी बीजेपी की सत्ता होने के कारण रायगढ़ निगम का चुनाव जीतना बीजेपी के लिए नाक का सवाल जो बनने जा रहा है। ऐसे में चुनावी लाभ का जरिया तो होना ही चाहिए, वरना चुनाव किन मुद्दों और नारों पर लड़ा जाएगा। निगम चुनाव से पहले ही चकाचक हो रही सड़कों का मामला निगम चुनाव में जोरशोर से बीजेपी भुनाएगी जरूर, ऐसे में कांग्रेस के हाथ खाली ही रहने वाले हैं। 5 साल शहर का कबाड़ा कर चुके कांग्रेस की महापौर और सभापति के पास अपनी उपलब्धि गिनाने का एक काम तक जो नहीं है।