वार्ड का काम मोदी–ओपी नहीं जयंत–सलीम–लक्ष्मी करवाएंगे, रायगढ़ का मुसाफिर हूं यारों
• वार्ड का काम मोदी–ओपी नहीं जयंत–सलीम–लक्ष्मी करवाएंगे
नगर निगम चुनाव में रायगढ़ शहर में ट्रिपल इंजन सरकार का नारा जोर–शोर से काम किया। पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक भाजपा का बनवाने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था, बहुत कुछ इसका असर भी हुआ लेकिन शहर के कुछ वार्ड ऐसे रहे जहां के लोगों ने साफ–साफ संदेश दे दिया कि वार्ड के दुख–सुख और काम के समय केवल काम हमारे पुराने पार्षद ही आयेंगे। जयंत, सलीम, लक्ष्मी, विकास, शाखा जैसे पार्षदों के वार्ड में भाजपा का चुनावी नारा धरती लग गया। यहां के वार्ड में 30–30 साल से लोगों का विश्वास जयंत और सलीम सहित लक्ष्मी जैसे धुरंधर पार्षदों पर टिका हुआ है। मंत्री ओपी चौधरी ने कई चुनावी युक्ति लगाई, 50–50 लाख के काम का ‘पाशा’ भी फेंका लेकिन कोई असर यहां के मतदाताओं पर नहीं हुआ। जिन वार्ड्स में कांग्रेस के पार्षद जीते वहां के लोगों ने साफ संदेश दिया कि वार्ड के काम के समय काम जयंत–सलीम और लक्ष्मी ही आयेंगे, मोदी या ओपी नहीं।
• सभापति के लिए किसका ‘पत्ता’ कटेगा, किसे मिलेगी ‘कुर्सी’!
रायगढ़ शहर में निगम के चुनाव तो हो गए लेकिन इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा कौन बनेगा सभापति को लेकर छिड़ी हुई है। सभापति के संभावित चेहरों को लेकर लोगों में सबसे ज्यादा कौतूहल मचा हुआ है। हालांकि 33 सीट जीतकर सभापति का चुनाव बीजेपी की तरफ एक तरफा हो गया है लेकिन बावजूद इसके सभापति की ‘कुर्सी’ किसे मिलेगी इसको लेकर सबसे ज्यादा दिलचस्पी जारी है। सभापति बनना बीजेपी का ही है क्योंकि कांग्रेस तो ले–दे कर अपनी साख बचा पाई है ऐसे में सभापति का सपना देखना कांग्रेस के बूते अभी नहीं दिख रहा। वैसे दिल्ली में वैश्य समाज के चेहरे को सीएम बनाए जाने से रायगढ़ में सभापति के लिए सुरेश के नाम को बल मिल सकता है लेकिन दूसरी तरफ महिला सीएम बनने से यहां महिला सभापति बन जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए। इस बात से भी इनकार नहीं किया जाना चाहिए कि जिसके चर्चा सबसे ज्यादा होती है वर्तमान में बीजेपी में उसका ‘पत्ता’ काटना तय माना जाता है, क्योंकि बीजेपी आजकल राजनीति में सियासी प्रयोग जो कर रही है।
• पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक अब भाजपा का, अब काम नहीं हुआ तो दौड़ाएगी पब्लिक
छत्तीसगढ़ में हुए नगरीय निकाय के चुनाव में बीजेपी को मिली आशातीत सफलता के बाद अब जीत से ज्यादा बीजेपी पर जिम्मेदारी का बोझ ज्यादा बढ़ गया है। शहरी इलाकों में लगभग जगह पार्षद से लेकर विधायक और विधायक से लेकर सांसद और सांसद से लेकर प्रधानमंत्री तक अब बीजेपी का बन चुका है। मतलब शहर से लेकर दिल्ली तक बीजेपी का राज है। सीधे शब्दों में कहें तो अब पब्लिक को उलाहना देने का कोई भी कारण नहीं बनेगा कि काम नहीं हो सकता, पैसा नहीं है, काम होने नहीं दिया जा रहा वगैरह–वगैरह। क्योंकि ऐसे बहानों को खुद पब्लिक ने खत्म कर दिया है। अब तो सड़क से लेकर साफ–सफाई, डेंगू, लाइट, बिजली, अस्पताल, स्कूल, पुल–पुलिया, पानी सबकुछ चकाचक मिलना चाहिए। पार्षद के लेकर प्रधानमंत्री तक अब भाजपा है अब तो काम नहीं हुआ तो दौड़ाएगी पब्लिक।
• अंत में दो सवाल आपसे...
• निगम चुनाव में भाजपा के खिलाफ काम करने वालों पर कोई कार्यवाही होगी?
• एल्डरमेन के लिए किन–किन चेहरों को लेकर अब कयास लगाए जाएंगे?
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