रायगढ़: ‘इस्तीफे’ से पहले ‘ऐलान’, • अनोखी ‘22’ तारीख को निगम के कांग्रेस में ‘36’ का आंकड़ा..... • बासी कढ़ी में ‘दबाव’ की ‘उबाल’ लेकिन सभापति.....!
खबरची डेस्क,रायगढ़। प्रदेश में निगम की सियासत, रायगढ़ में अपनी ही चाल चलती है लेकिन यह इस मर्तबा कुछ अलग ही अपनी ‘चाल’ चल रही है। यह इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि 10 जनवरी को सभापति के चेंबर में कांग्रेस की दो नेत्रियों के बीच गुत्थम–गुत्थी के मामले में आज प्रायोजित तौर पर कांग्रेस के पार्षदों ने सामूहिक पत्रवार्ता कर रायगढ़ में ऐलान किया है कि शायद कल रायपुर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को
कांग्रेस के 16 पार्षद इस्तीफा देने जा रहे हैं। शहर के स्थानीय होटल में आयोजित पत्रवार्ता में 10 जनवरी को घटित सियासी घमासान को लेकर की गई जांच के बाद कार्यवाही में देर को लेकर दबी हुए आक्रोश की ‘चिंगारी’ ने ‘टीस’ दिखा दी है।
16 पार्षदों ने पीसीसी अध्यक्ष के नाम पर तैयार किए हस्ताक्षरयुक्त सामूहिक इस्तीफा के ऐलान की ‘पटकथा’ में अपने सियासी व्यथा को साफ–साफ बयां कर दिया हैं।
आज ‘22’ को अनोखी तारीख पर निगम के कांग्रेस धड़े का ‘36’ का आंकड़ा एकबार फिर से हिलोरे मार गया है।
• इस्तीफे से सभापति को दूर रखा गया...!
10 जनवरी को नगर निगम में दो कांग्रेस नेत्रियों के बीच सभापति जयंत ठेठवार के चेंबर में ही लगभग हिंसक लेकिन सियासी घमासान हुआ था। आज जबकि इसी मामले को लेकर कांग्रेस पार्षदों ने
42 दिन बाद ही सही ‘बासी कढ़ी में उबाल’ की तर्ज पर अपनी ही कांग्रेस पार्टी के सामने आवाज ‘मुखर’ की तो है लेकिन मामले को लेकर
तैयार किए गए इस्तीफा देने वाले पत्र में सभापति का नाम और हस्ताक्षर नहीं होना, सियासी चर्चा का विषय बना हुआ है। आज की पत्र वार्ता में
पार्षदों की सामूहिक तौर पर ‘उपस्थिति’ में सभापति की ‘अनुपस्थिति’ भी शहर में चटकारे का ‘सबब’ बन गया है। हालांकि सभापति के नहीं रहने के पीछे उनके स्वास्थ्यगत कारण बताया गया।
• चौथी घटना के बाद आखिरकार....‘स्वाभिमान’...
पिछले 1 साल में नगर निगम में 4 सियासी घटनाओं ने ‘जन्म’ और ‘सियासी आकार’ लिया। पहली घटना पूर्व आयुक्त के साथ महिला पार्षद संजना की ठना–ठनी, दूसरी घटना इसी आयुक्त के साथ उनके ही चेंबर में सभापति की चिल्ल–पौं, तीसरी घटना पिछले साल ही एमआईसी को लेकर चले सियासी घटनाक्रम में कांग्रेसी पार्षदों का एमआईसी से इस्तीफा देने का ‘सबब’ और अब सभापति के चेंबर में पिछले महीने हुई कांग्रेस नेत्रियों के बीच ‘गुत्थम–गुत्थी’ के बाद अब जाकर कांग्रेसी पार्षदों ने स्वाभिमानी बनकर न्याय के साथ आवाज न केवल मुखर, बल्कि सार्वजनिक तौर पर ‘बुलंद’ कर दी है। घटना से 42 दिन बाद ही सही 16 पार्षदों ने हस्ताक्षरयुक्त पत्र के साथ रायगढ़ में ऐलान किया कि अब राजधानी रायपुर में इस्तीफा सौंपेंगे।