छग: बीजेपी विधायक के खिलाफ उतरी ईसाई आदिवासी महासभा,रायगढ़ से निकली धर्मांतरण रोकने की चिंगारी रायपुर तक पहुंची
छग। रायगढ़ में धर्मांतरण को रोकने की चिंगारी अब पूरे प्रदेश में एक जुनून बनकर उभरने लगी है। यहां लगातार ऐसे मामले पकड़ने के बाद हुई कार्यवाही से आक्रोशित ईसाई आदिवासी महासभा ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत दर्ज करवाई है। वहीं पड़ोस के जिले जशपुर की विधायक के खिलाफ अब ईसाई आदिवासी समाज रायपुर तक जा पहुंचा है। पूरे छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर बवाल जारी है। जशपुर से बीजेपी विधायक रायमुनि भगत और भाजपा नेता कृपाशंकर भगत के बयानों को लेकर ईसाई समाज के लोगो में नाराजगी है।
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शुक्रवार को ईसाई आदिवासी महासभा ने रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधायक रायमुनि भगत और भाजपा नेता कृपाशंकर भगत के खिलाफ जमकर हमला बोला। ईसाई आदिवासी महासभा अध्यक्ष अनिल कुमार किस्पोट्टा ने कहा कि विधायक रायमुनि भगत और कृपाशंकर भगत ईसाई समाज के खिलाफ गलत बयानबाजी कर रहे हैं। इन्हें ऐतिहासिक कानूनी तथ्यों की जानकारी नहीं है, इसलिए वे बयान दे रहे हैं कि जशपुर में एक भी वैध रूप से धर्मान्तरित ईसाई नहीं हैं।
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अध्यक्ष अनिल कुमार किस्पोट्टा ने कहा कि ये दोनों नेता खुद को हिन्दू उराव कह रहे हैं। वे बताएं कि, कब से वे हिन्दू धर्म में धर्मान्तरित हुए। किसके द्वारा उनका धर्मान्तरण किया गया? छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्र अधिनियम वर्ष 1968 के प्रावधान के अनुसार उनके हिन्दू धर्म में धर्मान्तरण की प्रज्ञापना जिला मजिस्ट्रेट को दी गई थी या नहीं ?
ईसाई आदिवासी महासभा के पदाधिकारियों ने कहा कि बताया कि छत्तीसगढ़ के प्राय: सभी थानों में पास्टरों और इसाईयों पर धर्मान्तरण का झूठा प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। लगातार ईसाई समाज को टारगेट किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में ईसाई संस्थाओं द्वारा अनेक अस्पताल संचालित हैं, जो बिना किसी धार्मिक भेदभाव के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा दे रहे हैं। यहां हर समाज के लोग दवा के साथ दुआ भी करते हैं। लोगों का विश्वास है कि दुआओं के असर से कई बार चमत्कारिक रूप से रोगी व्यक्ति स्वस्थ हुआ है। लंबी बीमारी से इलाज कराकर थक हार चुके लोगों के स्वास्थ्य लाभ के लिए ईश्वर से दुआए करना किसी भी प्रकार का गैर कानूनी कार्य नहीं हो सकता।
ईसाई आदिवासी महासभा की ओर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है, जिसमें बताया गया है कि पिछले कुछ समय से ईसाइयों के मामले में धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है। धर्म के आधार पर प्रताड़ना की जा रही है।
ज्ञापन में बताया गया है कि ईसाईयों के प्रार्थना सभा में आकर कुछ विशेष संगठन के लोगों के ईसाई समाज के लोगों पर हमला कर वहां उत्पात मचाया जा रहा है।
पुलिस की मौजूदगी में ईसाईयों के साथ गाली-गलौज और मारपीट की जा रही है।
विशेष संगठन के लोगों के द्वारा ईसाईयों को डरा धमकाकर उनसे जबरन अपने धर्म विशेष के कुछ नारे लगवाएं जा रहे हैं।
ईसाईयों के प्रार्थनालयों में हुड़दंगियों द्वारा जबरन अपने धर्म का पाठ पढ़ा जा रहा है।
धर्मान्तरण का झूठा आरोप लगाया जाकर निर्दोष पास्टरों और आम ईसाईयों को हिरासत में लेकर प्रताड़ित किया जा रहा है, उन्हें जेल में डाला जा रहा है।
ईसाईयों के प्रार्थनालयों में हंगामा करने वालों के खिलाफ पुलिस थानों में शिकायत के बाद भी शिकायत दर्ज नहीं की जा रही है और पुलिस द्वारा भेदभावपूर्ण कार्रवाई की जा रही है।