BREAKING RAIGARH NEWS रायगढ़ कांग्रेस कमेटी अपना वार्ड ही ‘हार’ गई पार्टी, वार्ड नंबर 18 का रिजल्ट ‘प्रभावित’ कर देगा कई वार्ड, चुनाव लड़ना ही नहीं चाहती थी कांग्रेस प्रत्याशी ?
रायगढ़। नगर निगम चुनाव के लिए वोटिंग से पहले ही कांग्रेस को बड़ा झटका लग गया है। वार्ड नंबर 18 से कांग्रेस प्रत्याशी शीला साहू ने आज नामांकन वापसी की आखिरी तारीख दे दिन कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया है। वार्ड नंबर 18 से नामांकन वापस लेकर शीला साहू ने बीजेपी प्रत्याशी पूनम सोलंकी को जीत तश्तरी में परोस कर दे दी है। वार्ड नंबर 18 से बीजेपी प्रत्याशी पूनम सोलंकी अब निर्विरोध पार्षद निर्वाचित हो गई है। इस जीत के बाद रायगढ़ नगर निगम में बीजेपी का पहला खाता भी खुल गया है।
• कांग्रेस अपना घर का वार्ड ही हार गई
वार्ड नंबर 18 पहले ही बीजेपी के लिए प्रगाढ़ जीत का वार्ड बना हुआ था ऐसे में जहां कांग्रेस कमेटी आती है, उस वार्ड में ही कांग्रेस को झटका लगना यह समझाने के लिए काफी है कि टिकट बांटने में मनमर्जी और जिद्द ने पार्टी की भद्द पिटवानी शुरू कर दी है। जिला कांग्रेस कमेटी वार्ड नंबर 18 में आती है और यहां से जब बीजेपी प्रत्याशी निर्विरोध जीत जाए तो समझ लीजिए कांग्रेस की स्थिति क्या है, शहर में और नगर निगम चुनाव में।
• वार्ड नंबर 18 की जीत कर देगी कई वार्ड प्रभावित
वार्ड नंबर 18 में बीजेपी पहले ही मजबूत स्थिति में थी लेकिन इस जीत के बाद न केवल वार्ड नंबर 18 में बीजेपी की जीत का पहला खाता खुला है बल्कि अगल–बगल के कई वार्ड इस जीत के जश्न में प्रभावित हो सकते हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसा पहली बार संभवतः हुआ होगा रायगढ़ नगर निगम के इतिहास में कि किसी प्रत्याशी की निर्विरोध जीत हुई हो। वार्ड नंबर 18 की जीत अगल–बगल के वार्ड 15,16, 17 और 19 को प्रभावित कर दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए।
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• चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी कांग्रेस प्रत्याशी
वार्ड नंबर 18 से कांग्रेस प्रत्याशी बनाई गई शीला साहू पार्टी की बेहद पुरानी और मध्यप्रदेश जमाने से सेवादल कार्यकर्ता के रूप में जुड़ी हुई है। उनको लेकर जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक उनके पति के साथ चल रहे मेडिकल कारणों की वजह से वह चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी लेकिन जोर देकर उनका फॉर्म भरवाया गया था, ऐसी बातें अब निकल कर आ रही हैं। कल रात से उनके घर में सीरियस मेडिकल कारण सामने आने के बाद आज नामांकन वापस लेने की नौबत आ गई जिससे बीजेपी को निर्विरोध जीत मिल गई। अब सवाल यह उत्पन्न हो रहा है कि क्या वाकई शीला साहू चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी? अगर ऐसा सही है तो कांग्रेस ने अपनी भद्द क्यों पिटवाई?